- September 15, 2025
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गांवों को रोशनी, जीवन को ऊर्जा से भरने में जुटे हैं मयूर हिवरकर
औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के युवा इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम इंजीनियर मयूर हिवरकर ने जब रामकृष्ण मिशन आश्रम से जुड़कर ग्रामीण जीवन को करीब से देखा तो वहां की अंधेरी रातों ने उनके जीवन का मिशन तय कर दिया। गांवों में गन्ना काटने वाले मजदूर अंधेरे में खेतों की ओर जाते, बच्चे शाम के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते और महिलाएं असुरक्षित माहौल में घर का काम करतीं। मयूर ने निश्चय किया कि वे इन अंधेरों को मिटाने के लिए सौर ऊर्जा के जरिए समाधान देंगे।
कैंपस प्लेसमेंट ठुकराकर उन्होंने उद्यमिता का रास्ता चुना। शुरुआती पूंजी मात्र 3 लाख थी, जो परिवार और दोस्तों के सहयोग से मिली थी। 2012 में उन्होंने अपना पहला उत्पाद सनपावर, एक हल्का, सौर ऊर्जा से चलने वाला पोर्टेबल बल्ब लॉन्च किया। यह सस्ता (500-600 रुपये) और उपयोगी था, जिसने ग्रामीणों की वास्तविक जरूरत पूरी की।